उत्तराखण्ड
सिक्का उछलते ही तय हो जाता है यहॉ का ग्राम प्रधान, आजादी के बाद से अब तक नहीं हुआ चुनाव।

एक ओर जहां पंचायत चुनाव में दावेदार चुनाव जीतने के लिए लाखों रुपये पानी की तरह बहा देते हैं, वहीं नैनीताल जिले के दूरस्थ विकासखंड बेतालघाट की ग्राम पंचायत तल्ला वर्धों के ग्रामीण सर्वसम्मति से अपना ग्राम प्रधान निर्विरोध चुन लेते हैं। आजादी के बाद और पंचायती राज एक्ट बनने के बाद से अभी तक इस गांव में प्रधान का चुनाव नहीं हुआ है। हालांकि पिछले साल दो उम्मीदवार सामने थे, तब भी ग्रामीणों ने तय किया कि कुछ भी हो चुनाव नहीं करेंगे। ऐसे में टॉस उछालकर ग्राम प्रधान चुन लिया गया और चुनाव का लाखों का खर्च ग्रामीणों ने बचाया। इसी परंपरा को उन्होंने आगे बढ़ाने का भी निर्णय लिया।
इस गांव में क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जरूर होता है, लेकिन गांव की सरकार ग्रामीण सर्वसम्मति से ही चुनते हैं। पूर्व ग्राम प्रधान गीता मेहरा, नंदन सिंह ने बताया कि पंचायत चुनाव में गांव का माहौल अच्छा बना रहे, इसके लिए प्रधान का चयन गांव के ग्रामीण सर्वसम्मति से ही तय करते हैं। पिछले वर्ष जरूर दो उम्मीदवार थे, लिहाजा तय किया गया कि ऐसी में भी चुनाव नहीं होगा और टॉस करा प्रधान चुन लिया जाएगा। आगे भी ऐसा हुआ, तो चुनाव न करा इसी परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा।
तल्ला वर्धों में 65 से अधिक परिवार रहते हैं। ऐसे में सर्वसम्मति बना लेना महत्वपूर्ण है। गांव के पूर्व ग्राम प्रधान हरीश सिंह मेहरा ने बताया कि गांव के लोग सर्वसम्मति से ही ग्राम प्रधान चुनते हैं। सामान्य, महिला, पुरुष, अनुसूचित जाति वर्ग में महिला या पुरुष सीट आने के बाद गांव के बुजुर्ग और युवा बैठक करते हैं। बैठक में ग्रामीणों की सहमति के बाद ग्राम प्रधान निर्विरोध चुना जाता है। ऐसा करने से गांव की एकता को बल मिलता है और गांव में विकास कार्य भी होते हैं।
पिछले साल गीता बनी थीं ग्राम प्रधान
वर्धों में पिछले साल चुनाव के लिए हुई बैठक में दो उम्मीदवारों ने दावेदारी तय की। गीता मेहरा और अर्जुन सिंह ने प्रधान बनने की इच्छा जताई। ऐसे में चुनाव की स्थिति बनने लगी तो बड़े-बुजुर्गों ने तय किया कि चुनाव न होने के आजादी के बाद की परंपरा को बनाए रखेंगे। लिहाजा तय किया गया कि जो टॉस जीतेगा वही प्रधान बनेगा। गांव की एकरूपता और सर्वसम्मति इतनी थी कि टॉस पर चुनाव हुआ और सिक्का गीता के पक्ष में उछला और वह प्रधान बन गईं।
