उत्तराखण्ड
नैनीताल: दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है।
भारत की राष्ट्रपति ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की शोभा बढ़ाई
शिक्षा न केवल हमें आत्मनिर्भर बनाती है, बल्कि हमें विनम्र होना और समाज व देश के विकास में योगदान देना भी सिखाती है- राष्ट्रपति
भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कुमाऊँ विश्वविद्यालय, नैनीताल के 20वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस दौरान राष्ट्रपति ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल और उपाधियां प्रदान की। इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) भी उपस्थित रहे।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास की नींव होती है। इसलिए, शिक्षा का उद्देश्य केवल विद्यार्थियों की बुद्धि और कौशल का विकास करना ही नहीं, बल्कि उनके नैतिक बल और चरित्र को भी सुदृढ़ करना होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा हमें आत्मनिर्भर बनाती है, साथ ही हमें विनम्र होना और समाज व देश के विकास में योगदान देना सिखाती है। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे अपनी शिक्षा को वंचित वर्गों की सेवा और राष्ट्र निर्माण के कार्य में समर्पित करें। उन्होंने कहा कि यही सच्चा धर्म है, जो उन्हें सच्चा सुख और संतोष प्रदान करेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तेजी से विकसित होती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। सरकार निरंतर प्रगति सुनिश्चित करने के लिए अनेक नीतिगत पहल कर रही है। ये पहल युवाओं के लिए अनेक अवसर उत्पन्न कर रही हैं। उच्च शिक्षण संस्थानों को चाहिए कि वे युवाओं को इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रेरित करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश में शोध, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देना अत्यंत आवश्यक है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय शिक्षा, अनुसंधान और नवाचार में उत्कृष्टता के प्रति समर्पित है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और अनुसंधान के प्रभावी अनुप्रयोग के लिए बहुविषयक दृष्टिकोण अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें विश्वास है कि विश्वविद्यालय इस दिशा में निरंतर अग्रसर रहेगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि हिमालय अपनी जीवनदायिनी संपदाओं के लिए जाना जाता है। इन संसाधनों का संरक्षण और संवर्धन हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में जागरूक प्रयास कर रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि एक शिक्षण संस्था के रूप में कुमाऊँ विश्वविद्यालय की कुछ सामाजिक जिम्मेदारियाँ भी हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय के अध्यापकों और विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे आस-पास के गाँवों में जाएँ, वहाँ के लोगों की समस्याओं को समझें और उनके समाधान के लिए हर संभव प्रयास करें।
राष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य की प्राप्ति में कुमाऊँ विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों के युवा विद्यार्थियों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अपनी प्रतिभा और समर्पण की शक्ति से ये युवा अपने दायित्व को अवश्य पूरा करेंगे।
इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि आज का यह अवसर हम सभी के लिए अत्यंत गौरव का क्षण है कि इस दीक्षांत समारोह में हमें माननीय राष्ट्रपति महोदया का सानिध्य और मार्गदर्शन प्राप्त हो रहा है। उन्होंने देवभूमि उत्तराखण्ड में पूरे प्रदेश वासियों की ओर से राष्ट्रपति का हार्दिक अभिनंदन और स्वागत किया।
राज्यपाल ने विद्यार्थियों से कहा कि आपके हाथों में जो उपाधि है यह तभी सार्थक होगी जब आप इसे सेवा, सत्यनिष्ठा और संवेदना के साथ जोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल बुद्धि का विकास नहीं बल्कि चरित्र का निर्माण भी है। ज्ञान तभी सार्थक है, जब उसके साथ नैतिकता जुड़ी हो। आज जब समाज तेजी से बदल रहा है तब विद्यार्थियों के भीतर, ईमानदारी, अनुशासन और जिम्मेदारी का भाव और भी आवश्यक है।
उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे हर प्रकार के नशे और ड्रग्स से दूर रहें। सच्चा आनंद नशे में नहीं बल्कि अपने लक्ष्य की प्राप्ति सेवा और सृजन में है। एक शिक्षित युवा वही है जो स्वयं को और अपने समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाए।
उन्होंने कहा कि आज हम तकनीकी युग के स्वर्णिम दौर में हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विज्ञान, डिजिटलीकरण और साइबर सुरक्षा हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। आज आगे बढ़ने के लिए तकनीक को अपनाना आवश्यक हो गया है।
राज्यपाल ने छात्रों से कहा कि सीखना कभी मत छोड़िए जीवन का हर अनुभव एक नई शिक्षा देता है। माता-पिता और शिक्षकों का सम्मान करें उनके आशीर्वाद में सफलता का बीज है। समय का मूल्य समझिए यह सबसे कीमती संपत्ति है। सत्य और ईमानदारी से समझौता न करें यही आपकी असली पहचान बनेगी। और सबसे महत्वपूर्ण आप अपनी जड़ों से जुड़े रहें। जो अपनी संस्कृति को पहचानता है, वही सबसे ऊँचा उठता है।
इस अवसर पर उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत, विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत, आयुक्त कुमाऊँ मंडल दीपक रावत, आईजी रिद्धिम अग्रवाल सहित विश्वविद्यालय के कार्य परिषद, शिक्षा परिषद के सदस्य सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।



