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उत्तराखण्ड

कृषि विज्ञान केन्द्र ज्योलीकोट के वैज्ञानिको के साथ लालकुआ, गौलापार एवं चोरगलिया क्षेत्र में खरीफ फसलो धान, सोयाबीन, उडद/मूंग एवं गन्ना फसलो का स्थलीय निरीक्षण किया।

Haldwani – कृषि विज्ञान केन्द्र ज्योलीकोट के वैज्ञानिको के साथ लालकुआ, गौलापार एवं चोरगलिया क्षेत्र में खरीफ फसलो धान, सोयाबीन, उडद/मूंग एवं गन्ना फसलो का स्थलीय निरीक्षण किया।.
ग्राम डूंगरपुर ग्राम पंचायत हल्दूचौड जग्गी सतीश पाण्डेय के खेत में लगी धान की फसल का निरीक्षण करने पर संज्ञान में आया कि फसल में खरपतवार नाशी का छिड़काव रोपाई के पचास दिन बाद किया गया हैं जिससे फसल की पत्तिया झुलस गई हैं। भविष्य में खरपतवार नाशी का प्रयोग रोपाई से तीस दिन के अंदर करना चाहिए। अधिकारी कृषि विज्ञान केन्द्र ज्योलीकोट डा तिवारी प्रभारी ने सलाह दी की धान की फसल में अब यूरिया के एक वैग में 10 किलोग्राम पोटाश मिलाकर प्रति एकड की दर से टाप ड्रेसिंग करने से फसल ठीक हो जाऐगी। धान फसल की स्थिति ठीक हैं, कहीं-कहीं स्टेम वोरर एवं बी पी एच (भूरा फुदका ) देखने में आ रहा हैं, कृषक भाईयो को सलाह दी जाती हैं कि वह अपने खेतो की निगरानी लगातार करते रहे और उपरोक्त कीडे दिखने पर फिप्रोनिल 5 c 1ml /लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करे अथवा इमीडाक्लोरपिड 17-8 l 0-6ml /लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करे। एक एकड में 150 से 200 लीटर पानी का प्रयोग करें। सोयाबीन फसल में फली छेदक कीडे का प्रकोप हो सकता हैं। फली छेदक का प्रकोप दिखने पर फिप्रोनिल 5ब 1उस/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करे अथवा इमीडाक्लोरपिड 17-8 l 0-6 ml /लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करे। एक एकड में 150 से 200 लीटर पानी का प्रयोग करें।
कृषको को सलाह दी जाती हैं कि वह अपने खेतो का नियमित रूप से निरीक्षण करते रहे, कोई समस्या होने पर तत्काल कृषि विभाग के निकटतम केन्द्र पर सम्पर्क कर सलाह एवं कीटनाशक दवाये अनुदान पर प्राप्त कर सकते हैं। अनुदान का भुगतान कृषको के खाते में डी बी टी के माध्यम से किया जायेगा।

इस अवसर पर मुख्य कृषि अधिकारी डा विकेश कुमार सिंह यादव, कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी धीरज सिंह, विकास खण्ड प्रभारी अफरोज अहमद, कृषि विज्ञान केन्द्र ज्योलीकोट के प्रभारी अधिकारी डा सी तिवारी, वरिष्ठ वैज्ञानिक डा कंचन नैनवाल वैज्ञानिक वरिष्ठ डा वलवान सिंह थे।

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