उत्तराखण्ड
अतिक्रमण मामले पर उत्तराखंड हाईकोर्ट की सख्ती, इस जिले के जिलाधिकारी, एसएसपी और PWD के अधिकारी कोर्ट में तलब
उत्तराखंड हाई कोर्ट ने उधम सिंह नगर जिले के पंतनगर में वन भूमि, गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय और लोक निर्माण विभाग की जमीन पर बड़े स्तर पर हुए अतिक्रमण पर उधम सिंह नगर जिला प्रशासन से जवाब तलब किया है। उच्च न्यायालय ने जिलाधिकारी, एसएसपी और लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को अगली तारीख पर कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की, याचिकाकर्ता अमित पांडे के अधिवक्ता दुष्यंत मनाली की ओर से अदालत को बताया गया की 27 अक्टूबर 2021 को नैनीताल हाई कोर्ट ने एक आदेश जारी कर जिला अधिकारी उधम सिंह नगर को पंतनगर के नगला में वन भूमि पीडब्ल्यूडी और जीबी पन्त विश्वविद्यालय की भूमि से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे, साथ ही 15 नवंबर तक इसकी रिपोर्ट अदालत में पेश करने को कहा गया था, लेकिन अतिक्रमणकारीयों को वहां से नहीं हटाया गया, याचिका कर्ता की ओर से कोर्ट में यह भी बताया गया कि जिला प्रशासन की ओर से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ बेदखली के मामले में सार्वजनिक संपत्ति बेदखली अधिनियम 1971 के तहत अभियोग पंजीकृत भी किए गए, लेकिन उस पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई, किच्छा और नगला क्षेत्र में राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बड़ी संख्या में अतिक्रमण किया गया है, नगला में 498 अतिक्रमणकारियों पंतनगर विश्वविद्यालय की जमीन पर 238 अतिक्रमणकारियों और वन विभाग की जमीन पर 136 अतिक्रमणकारियों को चिन्हित कर नोटिस भी जारी किए गए हैं, इसके साथ ही कोर्ट में यह भी बताया गया है की तराई स्टेट फॉर्म और किच्छा नगला राजमार्ग पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है, अतिक्रमण के चलते 32 मीटर चौड़ा किच्छा नगला राजमार्ग सिमट कर 17 मीटर रह गया है। कहीं ऐसा तो नहीं की राजनीतिक दबाव के कारण अतिक्रमणकारियों पर प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है लेकिन अब हाई कोर्ट ने इसका संज्ञान लेते हुए ऊधमसिंह नगर जिलाधिकारी, एसएसपी और अधिशासी अभियंता पीडब्ल्यूडी को अगली तारीख में कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं।