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उत्तराखण्ड

रानीबाग में जीना सीखेंगे ईना और मीना, जानिये इनकी पूरी कहानी….

रुद्रपुर। तराई पश्चिमी वन प्रभाग के बन्नाखेड़ा रेंज में छह महीने पहले मिले बाघिन के दो शावकों ईना और मीना को जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा। दोनों बच्चों को रेस्क्यू सेंटर रानीबाग के बड़े बाड़े में शिफ्ट कर दिया गया है। रेस्क्यू सेंटर रानीबाग के डॉ. हिमांशु पांगती ने बताया कि शावकों को अब यहीं रहन-सहन सिखाया जाएगा।
12 अप्रैल को बन्नाखेड़ा रेंज के प्लाट संख्या-66 में पेड़ काट रहे मजदूरों ने तीन शावक देखे थे। सूचना पर वन विभाग के अधिकारी वहां पहुंचे थे और मां के इंतजार में शावकों को तीन दिन तक वहीं रहने दिया लेकिन बाघिन लौटकर नहीं आई थी। वन विभाग ने तीनों शावकों को रेस्क्यू सेंटर रानीबाग भेज दिया था। एक शावक की रानीबाग में ही मौत हो गई थी। विभाग की दो टीम ने बन्नाखेड़ा और उससे सटे बरहैनी रेंज में बाघिन की तलाश में अभियान चलाया था। संभावित जगहों पर 12 कैमरा ट्रैप लगाए थे लेकिन बाघिन का सुराग नहीं मिलने दो महीने बाद अभियान को बंद कर दिया गया था।कोट-तीन शावकों में से एक की मौत हो गई है। दो बच्चे अब सात महीने से अधिक उम्र के हो चुके हैं और उनको बड़े बाड़े में शिफ्ट किया गया है। बाघिन अपने बच्चों को दो साल तक अपने साथ रखकर शिकार करना सिखाती है लेकिन शावकों ने जंगल में रहन-सहन और शिकार करना नहीं सीखा। इसलिए इन्हें जंगल में नहीं छोड़ा जाएगा। -प्रकाश चंद्र आर्य, डीएफओ

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