उत्तराखण्ड
उत्तराखंड :- अब तो… बेड़ू पाको बारो मासा, ओ नारायण काफल पाको ‘पौषा’।
डीडीहाट (पिथौरागढ़)। कुमांऊ का लोकप्रिय गीत बेड़ू पाको बारो मासा, ओ नारैण काफल पाको चैता… में यहां के प्रसिद्ध फल बेड़ू और काफल के पकने के समय का जिक्र किया गया है लेकिन मौसम में आ रहे परिवर्तन के चलते अब काफल चैत के बदले पौष माह में ही पकने लगा है।
डीडीहाट के नारायण नगर में जाड़ों के मौसम में काफल पकने लगा है। काफल के पकने का सही समय चैत यानी 15 मार्च के बाद होता है लेकिन मौसम में आ रहे चक्रीय परिवर्तन के चलते कुछ वर्षों से काफल फरवरी में पककर तैयार हो रहे थे। इस बाद तीन माह पूर्व दिसंबर में ही काफल से पेड़ लद गए हैं। नारायण नगर में देवेंद्र कन्याल के मकान के सामने स्थित काफल से लकदक पेड़ को देखने वालों की भीड़ लग रही हैं। देवेंद्र कन्याल का कहना है कि काफल में इस बार जल्दी फल आ गया था और अब ये पकने लग गए हैं।
पर्यावरण के जानकार डाॅ. लोकेश डसीला कहते हैं कि वैश्विक तापमान वृद्धि का असर पेड़-पौधों पर भी होने लगा है। काफल मार्च से पकने शुरू होते हैं। ग्लोबल वार्मिंग के कारण कई बार फलदार पौधों में असमय फूल-फल आने शुरू हो जाते हैं। पुलम, खुबानी और आडू के पेड़ों में भी अक्सर ऐसा देखने को मिला है।